धनवान और सुखी जीवन चाहते हैं तो श्री प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज के बताएं ये 2 उपाय जरूर आजमाएं

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स्वामी प्रेमानंद जी महाराज जी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह बता रहे हैं कि महासुखी रहने के लिए व्यक्ति को भगवान का नाम जप करना चाहिए।

धनवान और सुखी जीवन चाहते हैं तो श्री प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज के बताएं ये 2 उपाय जरूर आजमाएं


Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj: संत श्री ह‍ित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज एक कथा वाचक हैं। वह वृंदावन में रहते हैं और संत्संग के माध्यम से लाखों लोगों का मार्गदर्शन करते हैं। महाराज जी राधा रानी को अपनी ईष्ट मानते हैं। आपको बता दें कि महाराज जी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें एक भक्त उनसे पूछ रहा है सुखी और धनलान होने के लिए क्या करना चाहिए। जिस पर प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज बता रहे हैं कि महासुखी रहने के लिए प्रभु का आश्रय और भगवान का नाम जाप नहीं करोगे तो आपको सुखी नहीं रह सकते और नहीं आपको शांति मिलेगी। अपने गुरुदेव के द्वारा ईष्ट नाम और उनके चरणावृंद में प्रीति नहीं हुई तो आप जितने भी जतन कर लें। आपको शांति की प्राप्ति नहीं हो सकती है। लेकिन अगर ये उपाय कर लिए तो आप महासुखी हो जाएंगे।

महाराज जी ने आगे कहा कि ये जो सुख- दुख हैं ये हमारे पाप और पुण्य कर्मों का फल है। अगर हमारे कर्म सही है तो आप कहीं भी चले जाएं, आपको सब जगह आदर की प्राप्ति होगी। वहीं अगर आपक कर्म बिगड़ गए तो आपका कोई आदर नहीं करेगा। इसलिए कुछ भी कर लो अगर आप प्रभु का नाम नहीं लोगे आपको कहीं शांति नहीं मिलेगी। इसलिए नाम जप करो।

 

वहीं महाराज जी ने आगे कहा कि संत भगवान का ज्वलंत तेज होता है। जिसके सामने आने से व्यक्ति की सारी बुराईयां मिट जाती हैं। इसलिए हर संकट से बचने के लिए हरि का प्रवचन करें और संतों के निकट जाने से भगवान की प्राप्ति होती है। इसलिए किसी व्यक्ति का बुरा मत करो। इसलिए तुम्हारा बुरा नहीं होगा।

जानिए कौन हैं संत श्री ह‍ित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज

धनवान और सुखी जीवन चाहते हैं तो श्री प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज के बताएं ये 2 उपाय जरूर आजमाएं


संत श्री ह‍ित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज कानपुर के सरसौल ब्‍लॉक के अखरी गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम शंभू पांडेय है, माता का नाम राम देवी हैं। वहीं महाराज जी के गुरु जी का नाम  श्री गौरंगी शरण जी महाराज है। महाराज जी को बचपन से ही आध्यात्म के प्रति लगाव था। साथ ही उन्होंने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया था और वाराणसी चले गए थे। साथ ही इसके बाद वह वृंदावन आ गए।

 

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