भगवान क्या है | भगवान को जानना | Bhagwan kya hai

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भगवान क्या है?

भगवान क्या है | भगवान को जानना | Bhagwan kya hai


आप भगवान की खोज में है। आप भगवान को जानना चाहते हैं। आप भगवान के कार्य को जानना चाहते हैं। आप भगवान का पता जानना चाहते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण, आप भगवान के साथ होना चाहते हैं।

लेकिन, भगवान क्या है?

क्या भगवान इस ब्रह्मांड का निर्माता है? या वह दुनिया का शासक है?

क्या वह परमात्मा है? या वह किसी प्रकार का नैतिक अधिकार है?

क्या भगवान जीवन है? या भगवान आशा है?

क्या भगवान प्रेम है? या भगवान सत्य है?

भगवान क्या है?

'भगवान क्या है?' लोगों के प्रश्नों के उत्तर ढूंढने में मदद के लिए अनगिनत किताबें लिखी गई है। हालांकि, तथ्यों की पूरी स्पष्टता नहीं मिलने से, एक स्पष्ट तस्वीर कभी चित्रित नहीं होती है।

आज, आपकी 'भगवान को जानने' की खोज आपको यहाँ ले आई। तो आइए, 'भगवान क्या है?', उस पर हमें कुछ स्पष्टता मिलती है।

आपको क्या लगता है- भगवान एक नाम है या एक विशेषण ?

हममें से अधिकांश के लिए, भगवान की छवि हमारे मन में स्वाभाविक रूप से विकसित हुई होती है जब से हम युवा होते हैं और आमतौर पर हमारे परिवार जिस धर्म का पालन करते हैं तब से। परिणाम स्वरूप हम 'भगवान' के रूप में विश्वास करते हैं, स्वीकार करते हैं और सम्मान करते हैं।


उदाहरण के लिए, हम 'भगवान कृष्ण' की पूजा करने वाले व्यक्ति का उदाहरण लेते हैं:

  • यदि वह बालकृष्ण का विश्वास करता है। तो उसके लिए 'खेलते हुए बालकृष्ण की शरारतों की छवि' भगवान है, जिसे वह बालकृष्ण के नाम से जानता है ;
  • और राधे कृष्णा के विश्वास करने वालों के लिए 'राधा के साथ बांसुरी बजाने वाले भगवान कृष्ण की छवि' राधे कृष्णा के नाम से परमेश्वर है ;
  • योगेश्वर कृष्ण के भक्त के लिए, ’भगवान कृष्ण की छवि उनके हाथ में चक्र के साथ’ उनकी आंखों के सामने तैरने लगती है, जो उनके लिए भगवान है।

अन्य भगवानों के भक्तों के लिए भी यही विचार प्रक्रिया सत्य है।

वे सभी जिनका नाम हम भगवान, भगवान महावीर, भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान शिव, आदि के रूप में लेते हैं - वह सामान्य मनुष्य थे, जिन्हें उनके जीवन में बाद में भगवान के रूप में स्वीकारा गया और पूजा जाता है। इसका मतलब है कि भगवान एक नाम नहीं है बल्कि एक आम विशेषण है। जो उन लोगों का वर्णन करने के लिए दिया जाता है जिन्होंने अपने सभी कर्मों को समाप्त कर दिया है। उन्होंने ऐसा आदर्श और अनुकरणीय जीवन जिया है कि हजारों वर्षों के बाद भी लोग आज भी उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।

जब वे जीवित थे, तब इन महापुरुषों ने विभिन्न धर्मों संप्रदायों या अनुष्ठानों को पालन करने के लिए नहीं बनाया, और ना ही उन्होंने खुद को भगवान के रूप में संदर्भित किया। उन्होंने महसूस किया कि भगवान क्या है और उन्होंने इसे दुनिया को समझाया। उन्होंने भगवान को महसूस किया और लोगों को भगवान का एहसास कराया।

उन्होंने दुनिया को सिखाया कि: भगवान हमारे सच्चे स्वरूप के अलावा कुछ नहीं है।

भगवान ना तो निर्माता है और ना ही दुनिया का शासक। भगवान शुद्ध आत्मा के रूप में, अविभाज्य रूप में हम में से हर एक के भीतर है। जब तक आपके पास 'मैं कौन हूँ' की अज्ञानता है और उस अज्ञानता से आप यह मानते हैं कि 'मैं यह शरीर हूँ ', आप एक साधारण जीव है; और जब आप महसूस करते हैं कि 'मैं शरीर या शरीर को दिया गया नाम नहीं हूँ; मैं केवल एक शुद्ध आत्मा हूँ ' फिर आप स्वयं भगवान है।

पूर्ण परमेश्वर, शुद्ध आत्मा कैसा दिखता है?

भगवान क्या है | भगवान को जानना | Bhagwan kya hai


यह हमारी पांच इंद्रियों में से किसी से भी देखा, महसूस,या समझा नहीं जा सकता है, इसे केवल अनुभव किया जा सकता है। इसके अंतर्निहित गुणों के कारण इसे अनुभव किया जा सकता है। आत्मा में अनंत गुण हैं और भगवान क्या है, इसकी यही परिभाषा है। इसलिए,

  1. भगवान अनंत ज्ञानवाले है।
  2. भगवान अनंत दर्शनवाले है।
  3. भगवान परम सत्य है।
  4. भगवान शुद्ध प्रेम है।
  5. भगवान किसी भी दुःख या सुख से अप्रभावित है। (भगवान अव्याबाध स्वरूपी है)
  6. भगवान अनंत सुख का धाम है है।

प्रत्येक जीवित व्यक्ति की आत्मा हर तरह से परिपूर्ण है जीवित व्यक्ति जिसके भीतर वह रहता है उसके आंतरिक विचारों या बाहरी कार्यों से पूरी तरह से वह स्वतंत्र है। जिस तरह तेल और पानी कभी नहीं मिलते हैं, उसी तरह आत्मा और शरीर (जिसमें आत्मा रहेता है), वे कभी नहीं मिलते हैं। हम इसके अस्तित्व से अनजान हैं और इसके गौरवशाली गुणों का अनुभव नहीं कर सकते, क्योंकि यह अज्ञानता के अनंत आवरण से ढका हुआ है।

अज्ञान के यह अनंत आवरण आत्म साक्षात्कार के बाद ही टूट सकते हैं। यह वह क्षण होता है जब आप अपने कर्मों को बांधना बंद कर देते हैं और अपने सभी पुराने कर्मों को पूरा करना शुरू कर देते हैं। जब यह सभी कर्म समाप्त हो जाते हैं तो शुद्ध आत्मा पूरी तरह से जागृत हो जाता है और जो बचता है वह पूर्ण परमेश्वर है।

भगवान की पदवी और प्रतिष्ठा ऐसे ज्ञानी को दिया जाता है जिनमें आत्मा के निहित गुण पूरी तरह से प्रकट हो गए हैं। इस प्रकार, भगवान एक नाम नहीं है, बल्कि एक विशेषण है जो इन प्रकार के ज्ञानी का वर्णन करता है।

हम इन ज्ञानीपुरुष को प्रगट परमात्मा के रूप मे पूजते हैं, क्योंकि हम भी एक दिन उनकी तरह बनना चाहते हैं।

भगवान क्या है | भगवान को जानना | Bhagwan kya hai

Frequently Asked Questions (FAQs)

  1. Q. भगवान कौन है?

    A. इस दुनिया में, यदि आपने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, तो लोग आपको इंजीनियर कहते हैं; और यदि आप किसी... Read More

  2. Q. क्या भगवान है? भगवान कहाँ है?

    A. क्या यह स्वर्ग में है? आकाश में? मंदिर में है? हमारे हृदय में? या कहीं और? भगवान के सही पते को न... Read More

  3. Q. भगवान को किसने बनाया? भगवान कहाँ से आए?

    A. जब हम इस खूबसूरत दुनिया को अपने आस-पास देखते हैं, तो हमें अक्सर आश्चर्य होता है कि, 'इस दुनिया को... Read More

  4. Q. क्या भगवान ने एस दुनिया को बनाया है?

    A. तथ्य यह है कि भगवान इस दुनिया के निर्माता बिल्कुल नहीं हैं! अगर हम कहें कि भगवान सृष्टिकर्ता है,... Read More

  5. Q. क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सामूहिक रूप से सृष्टि का निर्माण किया है?

    A. एक धार्मिक मान्यता है कि: ‘ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सामूहिक रूप से सृष्टि का निर्माण... Read More

  6. Q. क्या वर्तमान में कोई जीवंत भगवान हाज़िर है? वह कहाँ है? वह हमें कैसे मदद कर सकते है?

    A. हाँ, वह है! लेकिन इससे पहले कि हम यह अद्भुत जीवंत भगवान के बारे में अधिक जानें, हम कुछ और स्पष्टता... Read More

  7. Q. भगवान को प्रार्थना कैसे करें

    A. प्रार्थना एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम भगवान से जुड़ते हैं और उनसे शक्ति प्राप्त कर सकते... Read More

  8. Q. मेरे गलत काम के लिए क्या भगवान मुझे माफ करेंगे या सजा देंगे?

    A. यदि आज कोई व्यक्ति चोरी कर रहा है, तो चोरी करने की उसकी क्रिया दृश्यमान कर्म है। इस कर्म का फल इस... Read More

  9. Q. भगवान, मुझे आपकी जरूरत है आप कहाँ हो? भगवान कृपया मेरी मदद कीजिये!

    A. बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि भगवान दयालु है, वह क्षमाशील है और वह हमसे बेहद प्यार करते है;... Read More

  10. Q. इश्वर के प्रेम को कैसे प्राप्त करें?

    A. भगवान का प्रेम शुद्ध प्रेम है। यह दिव्य प्रेम है और इसीलिए भगवान के प्रेम का प्रताप बहुत अलग... Read More

  11. Q. भगवान पर ध्यान कैसे केन्द्रित करे?

    A. बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि हमें भगवान की पूजा करनी चाहिए। और हम विभिन्न माध्यमों जैसे जप,... Read More

  12. Q. मूर्तिपूजा का महत्व क्या है?

    A. मूर्ति पूजा हमारे जीवन में बहुत महत्त्व का आधार है! मूर्ति पूजा के पीछे कई कारण और जबरदस्त फायदे... Read More

  13. Q. परमेश्वर के क्या गुण हैं?

    A. ईश्वर वह आत्मा है जो आपके भीतर, हमारे भीतर, हर जीव के भीतर रहते है। देह बाहरी पैकिंग है और जो भीतर... Read More

  14. Q. वास्तव में भगवान का अनुभव करने की कुंजी क्या है?

    A. क्या आप जानते हैं कि भगवान का अनुभव करने का अर्थ है स्वयं का अनुभव करना, क्योंकि भगवान वही हैं जो... Read More

  15. Q. भगवान कैसे बनें?

    A. अगर हमें यह पता हो कि भगवान कैसे होते हैं, तब हम यह जान पाएंगें कि हम भगवान जैसे कैसे बन सकते... Read More

  16. Q. अंबा माता और दुर्गा माता कौन हैं?

    A. देवी अंबिका, जिन्हें दुर्गा माँ और अम्बे माँ के नाम से भी जाना जाता है, देवी में से एक हैं, जिन्हें... Read More

  17. Q. देवी सरस्वती क्या दर्शाती हैं?

    A. माँ सरस्वती ज्ञान कि देवी है! सरस्वती का अर्थ है 'वह जो आत्म-ज्ञान के सार की ओर ले जाती है'। यह... Read More

  18. Q. लक्ष्मीजी कहाँ रहती हैं? उनके क्या कायदे हैं?

    A. लक्ष्मी जी देवी हैं, धन की देवी। धन और दौलत की भूख आज पूरी दुनिया को चला रही है। लेकिन पैसे कमाने

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